नदीम अंसारी
पंजाब की आर्थिक राजधानी लुधियाना से तकरीबन पांच किमी दूर जीटी रोड स्थित साहनेवाल एयरपोर्ट की हवाई सेवा तकनीकी दिक्कतों के चलते हवा में लटकी है। इसी साल 13 मई को इस हवाई अड्डे से अर्से बाद फिर से घरेलू उड़ाने शुरु हुई थीं। इसकी औपचारिक शुरुआत एयर इंडिया के दिल्ली से आए विमान ने एयरपोर्ट का रनवे चूमकर की थी। हालांकि च्अपशगुनज् उसी दिन पहली फ्लाइट तकनीकी कारण से आधे घंटे देरी से पहुंचने से हो गया था। कुल मिलाकर अभी तक तकनीकी दिक्कतों के ही चलते अकसर हवाई सेवा बाधित रहती हैं।
यहां हवाई सेवा उपलब्ध करा रही एयर इंडिया को अक्तूबर में ही 43 में से 21 उड़ाने तकनीकी कारणों से रद्द करनी पड़ीं। असली दिक्कत रनवे पर अत्याधुनिक सुविधाओं की कमी से है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के स्थानीय प्रतिनिधि शुरुआती दौर में ही नागरिक उड्डयन मंत्रालय व वरिष्ठ अधिकारियों को इस बाबत आगाह कर चुके हैं। हकीकत में अफरातफरी के आलम में यहां से घरेलू उड़ान सेवा शुरु करते वक्त तकनीकी दिक्कतों को पहले हल करने की नहीं सोची गई। माहिरों के मुताबिक रनवे पर विमान उतारने के लिए कम से कम पांच किमी की विजीबिलिटी (दृश्यता) चाहिए, वरना हादसे का खतरा रहता है। अधिक दृश्यता के लिए डॉप्लर वेरी-हाई फ्रिक्वेंसी ओमनीडाइरेक्शनल रेंज (डीवीओआर) व इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) लगते हैं। जिनसे विमान को धुंध में भी रास्ता दिखता है।
एयरपोर्ट अथॉरिटी सूत्रों की मानें तो शुरुआत में ही इस बाबत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था। साथ ही यह सिस्टम लगाने को स्थानीय प्रबंधन ने अथॉरिटी को भी कई पत्र लिखे। फिलवक्त सर्दी के साथ धुंध बढऩी है, इससे और ज्यादा उड़ाने रद्द होने की आशंका रहेगी। मुमकिन है कि खतरा न मोल लेते हुए एयर इंडिया के पायलट हाथ खड़े कर विमान भी रनवे पर खड़े कर सकते हैं। दोहरी दिक्कत, इसी एयरपोर्ट से बीते दिनों किंगफिशर द्वारा शुरु की गई हवाई सेवा भी तकनीकी दिक्कतों के चलते अब स्थगित है। फिलहाल इस एयरपोर्ट से सात में से चार दिन दिल्ली-लुधियाना के बीच हवाई सेवा सुविधा उपलब्ध है। जबकि हफ्ते के बाकी तीन दिन दिल्ली-लुधियाना-पठानकोट के बीच उड़ान का शैड्यूल है। आए दिन उड़ाने रद्द होने से अक्सर कारोबारी सिलसिले में दिल्ली व लुधियाना के बीच हवाई सफर करने वाले व्यापारी-उद्यमी परेशान हैं।
उधर, एयरपोर्ट अथॉरिटी के स्थानीय मैनेजर वीपी जैन का दावा है कि जल्द ही तकनीकी समस्या हल हो जाएगी। अथॉरिटी के चेयरमैन वीपी अग्रवाल ने इस बाबत आश्वासन पत्र भेज चुके हैं। डीवीओआर व आईएलएस सिस्टम लगाने की प्रक्रिया जल्द शुरु होगी, दिल्ली से उपकरण पहुंचने वाले हैं। वह यह तो मानते हैं कि इस सिस्टम को लगने में वक्त लगेगा। जहां तक किंगफिशर की सेवा फिर से शुरु होने का मामला है तो कंपनी इस एयरपोर्ट पर उतर सकने वाले छोटे विमान जल्द उपलब्ध कराने का भरोसा दिला रही है। वहीं माहिरों की नजर में सबकुछ सरकारी लेटलतीफी का नतीजा है। पहले राज्य सरकार ने ही जमीन देरी से मुहैया कराई। फिर देरी से आए उपकरण अब लगने में ही तीन महीने लेंगे। ऐेसे में इस सर्दी के दौरान तो अमूमन उड़ाने रद्द होने पर यात्री बैरंग लौटेंगे।
इस मामले में राजनीतिक दलों के बीच चली क्रेडिट-वार की बाबत स्थानीय सांसद व कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी कहते हैं कि कांग्रेस कहने नहीं, बल्कि करने में यकीन रखती है। वह दलील देते हैं कि बीते लोकसभा चुनाव में जनता से किए वादे के मुताबिक साहनेवाल एयरपोर्ट से घरेलू उड़ान सेवा शुरु कराई। इसके लिए उन्होंने दिल्ली तक भागदौड़ कर चुनाव के ठीक एक साल बाद वादे पर अमल किया। फिर यहां से किंगफिशर की उड़ान के लिए भी प्रयास किया। अब एयरपोर्ट पर बनी तकनीकी दिक्कतें दूर कराने को प्रयासरत हैं। विपक्ष के आरोपों पर मनीष पलटवार करते हैं कि सूबे के सत्ताधारी अकाली-भाजपा गठबंधन की फितरत हमेशा दूसरे के कामों का श्रेय लेने की रही है। दूसरी तरफ, इस मामले में दखल रखने वाले मुख्य संसदीय सचिव हरीश राय ढांडा भी तीखा पलटवार कर तर्क देते हैं कि मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने ही कई साल पहले विभागीय अधिकारियों से संपर्क कर इस मामले की जमीन तैयार की थी। कांग्रेसियों को तो पकी पकाई खीर खाने की आदत पड़ी है। वरना अर्से से बंद पड़ी घरेलू उड़ान सेवा केंद्र व राज्य में सत्ताधारी रहते कांग्रेस पहले ही क्यों शुरु करा पाई।
इस सबसे अलग जूतों के व्यापारी हरविंदर सिंह राजू रोष जताते हैं कि हमारे प्रधानमंत्री तक पंजाबी हैं और आम पंजाबी हवाई सेवा को तरस रहे हैं। कुछ ऐसी ही नाराजगी जताते अनीस खान बताते हैं कि ट्रैवल एजेंट होने के नाते उन्हें अक्सर अचानक दिल्ली जाता होता है। साहनेवाल से अमूमन फ्लाइट रद्द होने की वजह से ट्रेन या निजी वाहन का सहारा लेना पड़ता है। याद रहे कि साहनेवाल से हवाई सेवा शुरु होते वक्त इसका क्रेडिट लेने को सियासी धींगामुश्ती हुई थी। पहली फ्लाइट में दिल्ली से पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल अकाली जत्था लेकर आए थे। जबकि कांग्रेसी टीम सांसद मनीष तिवारी की अगुवाई में पहुंची थी। तब दोनों ही पक्षों ने इसका क्रेडिट लेते तमाम दावे किए थे।