आपका टोटल स्टेट

प्रिय साथियों, पिछले दो वर्षों से आपके अमूल्य सहयोग के द्वारा आपकी टोटल स्टेट दिन प्रतिदिन प्रगति की ओर अग्रसर है ये सब कुछ जो हुआ है आपकी बदौलत ही संभव हो सका है हम आशा करते हैं कि आपका ये प्रेम व उर्जा हमें लगातार उत्साहित करते रहेंगे पिछलेे नवंबर अंक में आपके द्वारा भेजे गये पत्रों ने हमें और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित किया व हमें हौसलां दिया इस बार दिसंबर अंक पर बहुत ही बढिय़ा लेख व आलेखों के साथ हम प्रस्तुत कर रहें हैं अपना अगला दिसंबर अंक आशा करते हैं कि आपको पसंद आएगा. इसी विश्वास के साथ

आपका

राजकमल कटारिया

Raj Kamal Kataria

Raj Kamal Kataria
Editor Total State

Search

Tuesday, 4 October 2011

संपादकीय हिसार के दंगल में जाने से पहले



हिसार संसदीय सीट पर उपचुनाव की दुंदुभि बज चुकी है. आने वाली 13 अक्टूबर को मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करके अपनी राय देंगे. बेशक इन उपचुनावों से केंद्र या प्रदेश की कांग्रेसनीत सरकारों को कोई अधिक फर्क पडऩे वाला नहीं है लेकिन ये चुनाव यदि कांग्रेस हारती है तो उसके लिए अपने पुनर्मूल्यांकन का संकेत और संदेश जरूर होगा. देशभर में घपलों और घोटालों से कांग्रेस की बुरी तरह से फजीहत हो चुकी है और यह शायद देश का पहला ऐसा मौका है कि केंद्र की सरकार के तीन-तीन मंत्री रहे लोग तिहाड़ जेल की हवा खा रहे हैं. राजनीतिक बदमाशी का इससे बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता. पूरा देश महंगाई की चपेट में है. इस आग में कांग्रेस ने खुद के हाथ भी जलाए लेकिन सबक नहीं लिया और पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में उत्तरोत्तर वृद्धि करके उसने आम आदमी को सांसत में डाल दिया. एक और मुद्दा जो इस चुनाव में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगा वह है योजना आयोग द्वारा गरीबी की नई परिभाषा तय करने का. सरकार ने कहा है कि 32 रुपए प्रतिदिन कमाने वाला व्यक्ति बीपीएल नहीं हो सकता. इस फरमान से तो देशभर में कांग्रेस की जबरदस्त किरकिरी हुई है. इतना ही नहीं देश देख रहा है कि न्यायपालिका और प्रेस जैसे लोकतंत्र के महान पहरुओं ने देश की अस्मत को बचाने में कितनी अहम भूमिका निभाई है. अमर सिंह, कनिमोझी, सुरेश कलमाड़ी और अब सुधींद्र कुलकर्णी को जेल जाना पड़ा, वह न्यायिक सक्रियता और प्रेस की भूमिका का बेजोड़ और नायाब उदाहरण है. देश को इन दो स्तंभों पर एक बार फिर उम्मीद की किरण दिखाई देने लगी है. खैर, हिसार में लोकसभा चुनाव हो रहा है और कांग्रेस, इनेलो व हजकां-भाजपा गठबंधन मैदान में हैं. भजनलाल के देहांत के बाद कुलदीप बिश्नोई को इस बात का अहसास हो गया था कि यदि उन्होंने किसी दल से गठबंधन नहीं किया तो उन्होंने आज तक जो मेहनत की है वह निष्फल हो जाएगी और चौ. भजनलाल की राजनीतिक विरासत का कुछ नहीं बंटेगा. चंद्रमोहन पहले ही सियासत के हाशिए पर चले गए थे. इसलिए पहले बसपा के साथ गठबंधन करके उसे भ्रूण हत्या तक पहुंचाने के बाद कुलदीप बिश्नोई ने भाजपा के साथ गठबंधन करके सियासी कौशल का परिचय ही दिया. भाजपा को भी हरियाणा में एक बैशाखी की जरूरत थी जो उसे कुलदीप बिश्नोई के बहाने मिली. इन चुनावों में जो एक खास बात देखने को मिल रही है वह है सभी दलों का दलित और पिछड़ा प्रेम. पहले इनेलो ने डॉ. अंबेडकर को भारत रत्न का अवार्ड दिलवाने में चौ. देवीलाल की भूमिका बताकर दलित कार्ड खेलने की कोशिश की और पिछड़ा वर्ग में सेंध लगाने की कारीगरी दिखाने का प्रयास किया वहीं कुलदीप बिश्नोई भी अब अंबेडकर के सपनों का समाज निर्माण करने की बात कर रहे हैं. यदि दलित और पिछड़ों का वोट बैंक बसपा को छोड़कर किसी के साथ है तो वह कांग्रेस पार्टी है. कांग्रेस भी इसे भुनाने में कोर कसर नहीं छोडऩा चाह रही. सभी दलों को पता है कि पिछले लोकसभा के आम चुनावों में बसपा ने हिसार लोकसभा क्षेत्र में 90 हजार से अधिक मत प्राप्त किए थे. इन मतों पर ही अपना अधिकार जमाने के लिए सब दल एडियां उठा-उठाकर दलित और पिछड़ों का अपनी तरफ आकर्षित करने की पुरजोर कोशिश में हैं. हिसार उपचुनाव का ऊंट किस करवट बैठेगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन यह तय है कि यह लोकसभा चुनाव सभी राजनीतिक दलों के भविष्य की रूपरेखा जरूर तय करेगा और कुलदीप बिश्नोई व अजय सिंह चौटाला का राजनीतिक भविष्य तो कम से कम इस पर दारोमदार है ही.



No comments:

Post a Comment