प्रमोद कुमार
बसपा चुनावी तैयारियों के मामले में सबसे आगे है. चुनावी रणनीति के तहत अन्ना फैक्टर को भुनाने के लिए मुख्यमंत्री मायावती ने 'आपरेशन क्लीनÓ चला रखा है, इसी क्रम में उन्होंने दागी और भ्रष्टाचार के आरोप में लोकायुक्त की चपेट में आए अपने कई मंत्रियों को पैदल कर दिया है.
प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का लक्ष्य बिल्कुल साफ है. वह सूबे में फिर से पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के लिए चुनाव लड़ेगी. उसके पास अपनी सरकार की साढ़े चार साल की उपलब्धियों का बखान है और सरकार बनने पर उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने में रह गई कसर को पूरा करने का लुभावना वायदा भी.
चुनाव के ठीक पहले मुख्यमंत्री मायावती ने जिस तरह केंद्र पर प्रदेश की अनदेखी करने, प्रदेश सरकार द्वारा मांगे गए 80 हजार करोड़ रुपए का पैकेज तथा सवर्ण गरीब, मुस्लिम एवं जाट समुदाय को आरक्षण देने संबंधी पत्रों का जवाब तक न देने का आरोप लगाया है और हजारों करोड़ रुपए वाली ढेरों नई योजनाओं की घोषणा की है, अपने दागी मंत्री और विधायकों के टिकट काटने का सिलसिला शुरू किया है, उससे उसकी छवि में और सुधार हुआ है.
आमजन में कुछ और आशाएं जगी हैं. कुछ बसपा कार्यकर्ताओं में जहां पद का दुरुपयोग करने के बारे में भय व्याप्त हुआ है, वहीं ज्यादातर कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा-स्फूर्ति भी पैदा हुई है. खुद मायावती को बसपा की चुनावी फिजा निखरने की उम्मीद है. वह नहीं मानती हैं कि राज्य में उनकी सरकार के खिलाफ कहीं कोई नाराजगी है. बसपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य कहते हैं, 'सपा और भाजपा ने सरकार के खिलाफ अनर्गल आरोप लगाने का अभियान चला रखा है, लेकिन जनता इन दलों की हकीकत से वाकिफ हो चुकी है. यही कारण है कि बसपा फिर से राज्य में सरकार बनाने जा रही है
स्वामी प्रसाद का यह दावा हवाई नहीं है. चुनावी तैयारियों के हिसाब से बसपा अन्य दलों से बहुत आगे है. मायावती ने फरवरी में चुनाव होने की स्थिति को ध्यान में रखते हुए काफी पहले अपनी तैयारियां शुरू कर दी थीं. वह पार्टी के विभिन्न स्तर के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की दर्जनों बैठकें कर उन्हें न केवल चुनाव में जुटने बल्कि सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने का निर्देश दे चुकी हैं.
मायावती यह भी चाहती हैं कि पार्टी का चोला बदलने के बाद भी राज्य में दलित राजनीति की असली वारिस बसपा ही बनी रहे. ऐसे में वह दलित समाज को पूरी तरह से अपने साथ मानते हुए इस बार भी ऊंची जाति के लोगों पर ज्यादा विश्वास जता रही हैं. विधानसभा चुनाव में प्रचार करते हुए वह बसपा के इस बदलाव के कारणों को जनता के सामने प्रमुखता से रखेंगी. जाहिर है, मायावती ही बसपा की स्टार प्रचारक होंगी. बसपा प्रत्याशियों के पक्ष में कहीं भी फिल्म अभिनेता प्रचार करने नहीं जाएंगे. फिल्म अभिनेता और धर्माचार्य का चुनाव प्रचार में उतारा जाना कांशीराम को पसंद नहीं था. मायावती भी इस परंपरा को जारी रखेंगी.
स्वामी प्रसाद मौर्य के अनुसार चुनाव प्रचार की रणनीति हर सीट की प्रकृति के अनुसार बनाई गई है और यह लगभग तैयार हो चुकी है. बूथ कमेटी से लेकर लोगों को मतदान केंद्र तक लाने और मतदान पर्ची बनाने तक के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी तय की जा चुकी है. मायावती कहां-कहां चुनाव प्रचार करने जाएंगी, यह तय किया जा रहा है. प्रदेश के हर जिले में उनको पहुंचाने का इंतजाम किया जा रहा है. इसके लिए तीन हेलीकॉप्टर और एक विमान किराए पर लेने की व्यवस्था की गई है. हर जिले में मायावती की एक बड़ी सभा होगी.
ऐसी चुनावी सभाओं में मायावती, मुलायम सिंह यादव, सोनिया गांधी और भाजपा के नेताओं पर निशाना साधेंगी. अपने भाषण में वह सपा के कुशासन और कांग्रेस की धोखाधड़ी तथा बढ़ती महंगाई पर अंकुश लगाने में केंद्र सरकार की असफलता को सबके सामने खोल कर रख देंगी. पार्टी महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी और सतीश चंद्र मिश्र भी चुनाव प्रचार करने जाएंगे, जबकि पार्टी सांसद व विधान परिषद के सदस्य मंडल और जिलों में चुनाव प्रचार के लिए सामग्री आदि भेजने की जिम्मेदारी निभाएंगे. पोस्टर, बैनर, बिल्ले, झंडे-झंडी आदि किस तरह के होंगे, यह भी तय हो चुका है. कुल मिलाकर बसपा आगामी चुनावी जंग में अपने हरबे हथियारों से लैस होकर पूरी तरह तैयार है. सत्ता फिलहाल उसके हाथ में है, प्रशासन पर उसका शिकंजा कसा हुआ है और संगठन पर मजबूत पकड़ भी. सारे प्रमुख विपक्षी दल अपने खम ठोक रहे हों, उनकी बयानबाजी भले ही जारी हो, पर वे चुनावी तैयारियों के मामले में बसपा से मीलों पीछे हैं. विपक्षियों का हाल देखकर बसपा को अपने लक्ष्य प्राप्ति के प्रति निश्चिंत होना चाहिए पर ऐसा है नहीं. वह पूर्ण बहुमत हासिल करने के लिए पूरी गंभीरता और तैयारी के साथ जुटी हुई है. हाथी थोड़ा मंद गति से पर बेहद मजबूत कदम बढ़ाता हुआ आगे बढ़ रहा है.
No comments:
Post a Comment