बाड़मेर: राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले के बालोतरा उपखंड मुख्यालय पर एक किन्नर ने हरे रेगिस्तान संकल्प लिया है। इस संकल्प को पूरा करने के लिए उसने अब तक बीस हजार पौधे अपने स्तर पर लगाए हैं। ईश्वर ने जिसे जिस्मानी तौर पर मुक्कमल नहीं बनाया, वे कई मर्तबा कुछ ऐसा कर गुजरते हैं कि लोग दिल से उनका सजदा करते हैं। बुलन्द हौंसलों से ऐसा ही कारनामा पर्यावरण प्रेमी किन्नर लीला ने कर दिखाया।
बालोतरा में पिछले दस वर्षों से रह रही किन्नर लीला बाई मानसून का दौर आरम्भ होते ही विभिन्न विद्यालयों, बगीचों और सार्वजनिक स्थानों पर अभियान चला कर पौधे लगाने में जुट जाती हैं। लीला बाई ने विषम परिस्थितियों वाले इस रेगिस्तानी जिले में बीस हजार से अधिक पौधे लगा कर अनुठा उदाहरण समाज के सामने पेश किया है। उसका यह क्रम थमा नहीं है। उनके इस अभियान में बालोतरा निवासीयों का सहयोग देखते बनता है। अमुमन किन्नरों की लूट-खसोट वाली छवि को तोड़ते हुए लीला बाई ने पेड़ लगाने का अभियान चला कर पर्यावरण के प्रति अपने समर्पण का उदाहरण समाज के सामने पेश किया है।
गत साल मानसून से उसने यह अभियान आरम्भ किया था, जो आने वाले मानसून में भी जारी रहेगा। असहायों की मदद के लिए हर पल तत्पर रहने वाली लीला बाई को पूरे इलाके में बुआ के नाम से जाना जाता है। सेवा में मदर टेरेसा को अपना आदर्श मानने वाली लीला बाई ने बताया कि रेगिस्तान में गुलमोहर के पौधे लगाने का उसका सपना है, जिसे पूरा करने के लिए वे प्रयास कर रही हैं। उन्होंने बताया कि दुनिया छोड़ने के बाद लोग उन्हें पौधों के रूप में याद करें। पौधों को कुदरत का दिया अनोखा उपहार बताने वाली लीला बाई को पौधों की प्रजातियों, गुण और महत्व की भी पूरी जानकारी है।
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