आज जिले के व्यापारी बदमाशो द्वारा आये दिन मांगी जाने वाली फिरौती से परेशान है. हांसी जहा इसका मुख्य उदहारण रहा है वही आज कल हिसार में भी किसी ना किसी से फिरौती मांगी जा रही है. फिरौती ना देने की एवज में जहा उनके सिर पर मौत का डर मंडराता रहता है वही शहर की जनता अपहरण, हत्या व् लूटपाट सहित अनेको अपराधो से जूझ रही है. जनता के लिए रोटी, कपडा और मकान जुटाना महंगा ही नहीं मुश्किल काम सा हो गया है. बावजूद इसके आज जिला प्रशासन हिसार की जनता से अपील कर रहा है की आओ नई दीवाली मनाये. प्रशासन का यह आगाज जनता के लिए सोचने में तो बहुत अच्छा है लेकिन हिसार की जिन मुख्य चार समस्याओं को प्रशासन इस दीवाली से पहले जनता के सहयोग से ख़त्म करना चाहता है अभी तक उस पर कोई ठोस नीति ही नहीं बन पाई है. जबकि कोई कार्य होना तो बहुत दूर की बात है.
जनता की मुलभुत सुविधाओं की अगर यहाँ बात की जाए तो आज जनता के लिए नगर के मुख्य बाजारों में पार्किंग नाम की कोई चीज नहीं है. बदहाल सड़के हर समय जनता को चिढाती नजर आती है. सड़को पर अक्सर आदमी कम और आवारा जानवर ज्यादा नजर आते है. जबकि जहा तक गन्दगी का सवाल है तो नगर परिषद् कर्मी हड़ताल पर बैठे है और उपायुक्त नगर के वरिष्ठ नागरिको के साथ बैठक कर इन सब समस्याओं का समाधान ढूंढने का प्रयास कर रहे है. अगर एक पल के लिए यहाँ यह मान भी ले की प्रशासन अपनी कथनी और करनी में कामयाब हो जायेगा तो सोचने वाली बात यह है की प्रशासन जिस मिशन को लेकर चल रहा है क्या उसमे जनता उनका साथ देगी. फिलहाल शुरूआती दौर को देखते हुए तो ऐसा नहीं लगता लेकिन फिर भी एक आम नागरिक यही दुआ करता है की इस बार की उनकी दीवाली एक नई दीवाली हो.
ऐसा नहीं है की प्रशासन का इस तरह का यह पहला प्रयास है. नगर को स्वच्छ, सुन्दर और नियमित रखने के लिए इससे पहले भी प्रशासन की और से विभिन्न तरह के प्रयास किये जा चुके है. इनमें से किसी एक भी प्रयास में सफल होना तो दूर प्रयास सिरे भी नहीं चढ़ सके. इस बार भी कुछ ऐसा ही होता नजर आ रहा है. आपको यहाँ बता दे की जिला उपायुक्त ने दीवाली से पहले क्लीन हिसार की कवायद शुरू करते हुए नई दीवाली के नाम पर जनता से सहयोग माँगा है. उपायुक्त युद्धवीर सिंह ख्यालिया ने वरिष्ठ नागरिको को संबोधित करते हुए कहा की अब हमको सामुदायिक सोच के साथ जीना पड़ेगा. अब जनता को मेरा घर की सोच से बाहर निकल कर हमारी गली, हमारा मोहल्ला और हमारा शहर के बारे बारे में सोचना पड़ेगा. अपनी सोच को अमलीजामा पहनने के लिए नगर को 6 इकाई में बांटा जायेगा और सभी की एक कार्य योजना होगी.
क्या हिसार की जनता नई दीवाली मना पायेगी, क्या प्रशासन क्लीन हिसार की कवायद को सिरे चढ़ा पायेगा व् क्या हिसार से अपराध ख़त्म होगा जैसे अनेको सवाल जनता के मन-मस्तिक में आज घर किये हुए है. ऐसा नहीं है की जनता की यह सोच बेमानी है. इतना जरुर है की आज जनता ऐसी कवायदों की आदि सी हो गई है. क्योंकि ऐसी योजनाये कुछ समय बाद या तो दम तोड़ जाती है या फिर उन पर अमल ही नहीं किया जाता. इससे पूर्व में भी नगर के चौराहों को सुन्दर बनाने के लिए उन्हें गोद दिया था जो आज बदहाली की अवस्था में है. हुड्डा विभाग ने अपने सैक्टर को स्वच्छ और सुन्दर दिखाने के लिए वहा मौजूद पार्को को गोद देने की कवायद शुरू की जो आज दम तोड़ गई. इसके साथ शहर को गुलाबी नगरी में तब्दील करना, महिलाओं और पुरुषो के शौचालय बनवाना, पार्किंग व्यवस्था को दुरुस्त करना व् सडको को बनवाना जैसी प्रशासन की कवायदे असफल हो चुकी है.
हिसार में हुए युवा उत्सव के दौरान नगर को स्वच्छ और सुन्दर दिखाने के लिए सबसे पहले नगर के मुख्य चौराहों को गोद दिया गया था. योजना के अनुसार गोद लेने वाले को चौक का रख-रखाव और सौन्दर्यीकरण का ध्यान रखना था. प्रशासन द्वारा उस समय निकाली गई इस योजना का जनता ने जोरदार स्वागत किया था. कार्य युद्ध स्तर पर शुरू हुआ और सभी चौराहों को दुल्हन की तरह सजाया गया. कुछ समय पश्चात ही स्थिति फिर वही ढाक के तीन पात वाली नजर आने लगी. इसके पश्चात हुड्डा विभाग में आये दिन आने वाली पार्को की समस्या से निजात पाने के लिए क्षेत्रवाशियों को पार्क गोद देने का मन बनाया. इस योजना में क्षेत्रवाशीयो को पार्को के रखरखाव और सुन्दरता का ध्यान रखना था. इस योजना को कामयाब करने के उद्देश्य से हुड्डा ने एक रुपया प्रति स्क्वेयर मीटर के हिसाब से खर्चा देने की भी योजना बनाई थी.
आज एक के बाद एक योजनाये जहा दम तोड़ चुकी है वही इस योजना को सुचारू रूप से शुरू करने से पहले हुई बैठक के दौरान भी माहौल उस समय गर्म हो गया जब उपायुक्त युद्धवीर सिंह ख्यालिया ने कहा की अब जनता को सोचना है की जूस की रेहड़ी लगाने वालो का नगर के मुख्य बाजारों में क्या काम. इस पर लोग भड़क गए और प्रशासन के सामने सवालों की बौछार कर दी. लोगो का कहना था की भले ही रेहड़ी वालो को बाजारों से निकाल दिया जाये लेकिन क्या कोई करोडपति कूड़ा करकट या गन्दगी उठाने को तैयार है. पांच प्रतिशत सुविधाभोगी लोगो के लिए 95 प्रतिशत लोगो के साथ प्रशासन क्या न्याय करेगा. यह तो भविष्य के गर्भ में है की जनता नई दीवाली मना पायेगी या नहीं लेकिन इतना जरुर है की अगर प्रशासन निचले तबके के लोगो को साथ लेकर चले तो जनता से जनभागीदारी की उम्मीद की जा सकती हैtotal state
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