विदेशी मदद के जरिए पंजाब के युवाओं का आक्रोश भड़काकर आतंकवाद और खालिस्तान की मांग दोबारा जिंदा करने की कोशिशें हो रही हैं, बृजेश पांडे की रिपोर्ट
अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के पास लगी दुकानों में रोज की तरह आज भी काफी हलचल है. यहां सिख धर्म से जुड़े प्रतीकों और धार्मिक साहित्य की बिक्री होती है. बाकियों के मुकाबले दुकान नंबर 31 में लोगों की आवाजाही ज्यादा है. यहां खास तौर पर खालिस्तान आंदोलन के अगुआ और 1984 के ऑपरेशन ब्लूस्टार में मारे गए आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले से जुड़ी सीडी, किताबें, पोस्टर, कैलेंडर, टीशर्ट और स्टीकर मिलते हैं. दिलबाग सिंह की इस दुकान पर हम करीब एक घंटे तक खड़े रहते हैं और इस दौरान हमें दुकान पर आने वालों से दो सवाल बार-बार सुनने को मिलते हैं. 84 की सीडी हैंगा सी? और बाबा का पोस्टर देना.
आतंकियों के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया के देश नई पनाहगाह बन रहे हैं जहां वे आसानी से घुसकर पाकिस्तान चले जाते हैं
पवन सिंह घर में चिपकाने के लिए एक पोस्टर खरीदते हैं. एक पोस्टर उनकी कार में लगा है. वे गर्व के साथ कहते हैं, बाबा जी हमारे संत हैं. और अगर ये आज होते तो सिखों की इतनी बेकद्री ना होती. इस दुकान से हर महीने भिंडरावाले के तकरीबन 450-500 पोस्टर और सीडी बिकती हैं. दिलबाग का अनुमान है कि पूरे पंजाब के लिए यह आंकड़ा 80-90 हजार होगा. वे कहते हैं, बाकी देश के लिए वे आतंकवादी हो सकते हैं लेकिन हमारे लिए वे पहले एक संत हंै और फिर एक लड़ाका.
दिलबाग की बात को यदि पिछले दिनों संसद में गृह राज्यमंत्री अजय माकन के बयान से जोड़कर देखें तो साफ हो जाता है कि राज्य में आतंकवादी गतिविधियां फिर बढ़ रही हैं. 16 अगस्त को माकन ने संसद में एक लिखित जवाब देते हुए सूचना दी थी, रिपोट्र्स बताती हैं कि सिख आतंकवादी समूह, खासतौर पर जिनके अड्डे विदेशों में हैं, पंजाब में आतंकवाद को दोबारा जिंदा करने की कोशिश कर रहे हैं. हम उन पर लगातार नजर रखे हुए हैं...
पिछले दिनों राज्य में हुई कुछ गिरफ्तारियों पर नजर डालें तो यह आशंका और पुष्ट हो जाती है. पिछले साल पंजाब में 15 से ज्यादा आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया. एक आतंकवादी मुंबई से पकड़ा गया था. इनमें से ज्यादातर बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के सदस्य थे. बीकेआई खालिस्तान आंदोलन का सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठन माना जाता है. 1995 में राज्य के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या और 1985 के कनिष्क बम कांड के लिए यही संगठन जिम्मेदार है.
28 जुलाई को बीकेआई के कथित पांच आतंकवादियों की गिरफ्तारी हुई.
18 जुलाई को पुलिस ने बीकेआई के चार आतंकवादियों को उनके कमांडर हरमोहिंदर सिंह के साथ पकड़ा था. हरमोहिंदर लुधियाना के शिंगार सिनेमा बम ब्लास्ट का मास्टरमाइंड था.
26 मार्च को राजपुरा सेक्टर में बीकेआई के तीन सदस्य पकड़े गए.
21 फरवरी को खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के दो आतंकवादियों जवीर सिंह और हरवंत सिंह को पकड़ा गया.
28 जून को पटियाला पुलिस ने बीकेआई के पांच लोगों को पकड़ा तो आतंक के अंतर्राष्ट्रीय गठजोड़ की बात सामने आई. पटियाला के एसएसपी रणबीर सिंह खत्रा कहते हैं, इनमें से एक परगट सिंह बम एक्सपर्ट था और मलेशिया में एक साल तक रह चुका था. हमें मिली और खुफिया सूचनाओं के आधार पर इसकी पुष्टि की जा सकती है कि पंजाब में आतंक फैलाने के लिए कनाडा व अमेरिका के कट्टरपंथी गुट और आईएसआई, मलेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड की जमीन का इस्तेमाल कर रहे हैं.
आतंकवादियों के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया के देश नई पनाहगाह बन रहे हैं. रणबीर इसकी वजह बताते हैं, ये पर्यटक स्थल हैं जहां एशियाई काफी तादाद में रहते हैं. आतंकवादियों के लिए यहां घुसना और वहां से बिना किसी दिक्कत के पाकिस्तान भागना आसान है. प्रशिक्षण के बाद वे इसी तरह आसानी से भारत आ जाते हैं और उन पर कोई शक भी नहीं करता. पंजाब पुलिस के पूर्व प्रमुख केपीएस गिल, जिन्हें राज्य में आतंकवाद के खात्मे का श्रेय दिया जाता है, कहते हैं, हो सकता है कोशिशें अभी बिलकुल शुरुआती स्तर पर हों लेकिन कनाडा, अमेरिका, और कुछेक यूरोपीय देशों में ठिकाना बनाकर बैठे कट्टरपंथी समूह पूरी कोशिश कर रहे हैं कि पंजाब में आतंक के दौर की वापसी हो जाए.
पंजाब में लगभग डेढ़ दशक से शांति थी. आतंकवादियों की ताजा सुगबुगाहट पर यह सवाल उठना लाजिमी है कि राज्य के युवाओं में दोबारा खालिस्तान आंदोलन की तरफ मुडऩे की आखिर वजह क्या है. जवाब है उपेक्षा. पंजाब के युवाओं की आकांक्षाओं की लगातार अनदेखी की गई है, खालसा एक्शन कमेटी के संयोजक मोखम सिंह बताते हैं, राज्य और केंद्र दोनों ने पंजाब के युवाओं के सपनों का दमन किया है. राज्य तो बहुत धनी है लेकिन लोग गरीबी में जी रहे हैं. इसलिए उनमें काफी गुस्सा है, इसे कोई नहीं समझ रहा है. यहां रोजगार के मौके नहीं हैं. कुछ नहीं है.
दल खालसा के प्रवक्ता कंवर पाल सिंह कहते हैं, ये बच्चे भावुक हैं, उनकी भावनाएं आहत हैं. उनके मां-बाप, रिश्तेदारों और आम सिखों के साथ जो हुआ, ये उसे देख-सुनकर बड़े हुए हैं. आप एक पीढ़ी को मार देते हैं तो दूसरी आ जाती है. जैसे कश्मीर में हुआ जहां पुरानी पीढ़ी से कमान युवा पीढ़ी ने ले ली है, यहां भी वैसा ही है. राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी इससे इत्तेफाक रखते हैं. नाम न बतानेे की शर्त पर वे कहते हैं, आतंकी गतिविधियां चलाने वालों के लिए ये युवा, जिनके पास न कोई रोजगार है न भविष्य, आसान शिकार हैं. सीमा से लगती आबादी में तो नशीली दवाओं ने हालात काफी बिगाड़ दिए हैं. आतंकवादी सरगना वहां ऐसे युवाओं की बातें सुनते हैं, उन्हें दिलासा देते हुए कुछ पैसा देते हैं और उनके गुस्से का इस्तेमाल भारत के खिलाफ गतिविधियों के लिए करते हैं.
पंजाब पुलिस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि राज्य में आतंकवाद के दोबारा उभार की बात भले ही नजरअंदाज की जा रही हो लेकिन जनवरी, 2004 में फरार हुए आतंकवादी जगतार सिंह हवारा की गतिविधियां सरकार की आंखें खोलने के लिए काफी हैं. भारत में बीकेआई का मुखिया जगतार सिंह चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल तोड़कर भागा था. जांच रिपोर्ट बताती है कि इस दौरान उसने भारी मात्रा में असलाह, जिसमें 35 किलो आरडीएक्स सहित कई एके-47 बंदूकें शामिल थीं, जुटा लिया था. यही नहीं, पंजाब में उससे सहानुभूति रखने वाले 100 से ज्यादा लोगों ने असलाह इक_ा करने और उसके रहने-खाने की व्यवस्था करने में मदद की थी. हालांकि जगतार सिंह को 18 महीने बाद पकड़ लिया गया, लेकिन ये जानकारियां चेतावनी के संकेत जैसी तो हैं ही.
खुफिया एजेंसियों से जुड़े सूत्र भी इन मामलों में पाकिस्तान की आईएसआई के हाथ होने की पुष्टि करते हैं. मोखम सिंह बताते हैं, पंजाब में लंबे समय से शांति का माहौल रहा है लेकिन आईएसआई, बीकेआई जैसे समूहों पर दबाव डाल रही है कि वे पंजाब में फिर से अपनी गतिविधियां शुरू करें. आईएसआई कनाडा से इस तरह के दूसरे गुटों के लिए फंड जुटाने का काम कर रही है. मोखम सिंह कहते हैं, 1990 के आसपास आतंकवाद खत्म होने के बाद से कुछ नहीं बदला है. एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई लेकिन कोई हल नहीं निकला. सब कुछ वैसा ही है. हम बारूद के ढ़ेर पर बैठे हैं जिसके लिए एक चिंगारी ही काफी होगी. total state
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