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राजकमल कटारिया

Raj Kamal Kataria

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Sunday, 21 November 2010

माता बाला सुन्दरी पिहोवा मंदिर पर रिपोर्ट

कुरुक्षेत्र से विशेष गौड़

सर्व मंगल मांगल्ये शिवें सवार्थ साधिके।
शरणये त्रियम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

माता बाला सुन्दरी जो कि मां का बाल रूप है। पिहोवा में आदि शक्ति के रूप में पूजित है। पिहोवा नगर में मां सरस्वती नदी के पश्चिम तट पर माता बाला सुन्दरी जी का प्राचीनतम् मंदिर स्थित है। जहां पर माता भगवती की पिण्डी के ऊपर पंचदर्शी यंत्र स्थापित है। सरस्वती तट पर होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। वामन पुराण के अनुसार वाराणसी से भगवान शंकर के साथ ही माता बाला सुन्दरी पिहोवा में आई और यहीं पर निवास करने लगी। शास्त्रों के अनुसार सतयुग में पृथूदक पिहोवा की स्थापना के समय श्री पृथ्वेश्वर महादेव और माता बाला सुन्दरी की स्थापना व पूजा राजा वेन के पुत्र राजा पृथू द्वारा की गई। मंदिर में माता बाला सुन्दरी एक पिण्डी के रूप में स्थापित है। जिसपर एक विशेष यंत्र बना हुआ है। विद्वान ज्योतिषियो के अनुसार यह पंचदर्शी यंत्र है जिसकी सच्चे मन से अराधना करने से सृष्टि के हर प्रकार का सुख व वैभव प्राप्त होता है। जोकि बहुत दुर्लभ है कहा जाता है कि आज से लगभग 800 वर्ष पूर्व मुगल शासको ने इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया और तभी माता का पिण्डी स्वरूप लुप्त हो गया। एक दन्त कथा के अनुसार आज से लगभग साढ़े 350 वर्ष पूर्व देवी माता ने भूमि के स्वामी को स्वपन में दर्शन दिए और आदेश दिया की मैं इस भूमि में स्थित कुंए के अन्दर पिण्डी रूप में विराजमान हुं। आज भी वह कुआं मंदिर के प्रांगण में विद्यमान है। अगले दिन सुबह ही उस जिज्ञासु और श्रद्धावान ब्रहाम्ण परिवार ने जैसे ही खुदाई शुरू की तो वहां से एक क्षीण अवस्था में भवन के अवशेष दिखाई दिए। उस ब्रहाम्ण ने उसका जिर्णाेद्धार कर पिण्डी को मंदिर में स्थापित किया। वर्तमान में पिछले 14 वर्षो से नगरवासियों के सहयोग से माता बाला सुन्दरी कार्यकारिणी कमेटी पिहोवा का गठन किया गया। जिसके सभी सदस्य महामाई की असीम कृपा और नगर वासियों के सहयोग से मंदिर का निर्माण कार्य निरंतर जारी रखे हुए है। मंदिर प्रांगण में यात्री निवास भी स्थापित है। जिसमें निशुल्क व्यवस्था है और मंदिर कमेटी की ओर से 24 घंटें की ऐम्बुलैंस सुविधा भी उपलब्ध है। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रों में देवी की उपासना का विशेष महत्व है। प्रत्येक वर्ष चैत्र मास में अश्विन मास व माता के नवरात्रें मंदिर प्रांगण में बडे धूम-धाम से मनाए जाते है और नवरात्रे की सप्तमी वाली रात्री को मंदिर कमेटी की और से प्रांगण में विशाल भगवती जागरण करवाया जा रहा है। माता बाला सुन्दरी कमेटी के सरंक्षक व सदस्यों के अनुसार सच्चे दिल से मॉ के दरबार में जो मन्नत मांगता है मां उसकी हर मनोकामना पूर्ण करती है।

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