अमित यायावर
पंजाब के अबोहर उपमंडल के राजस्थान की सीमा पर बसे गाँव खुइआ सरवर का एक परिवार मिट्टी के कलात्मक बर्तन बनाने में माहिर है. इस परिवार का पुश्तैनी धंधा मिट्टी के बर्तन बनाना है.बदलते समय के अनुसार इस परिवार ने अपने परम्परागत धंधे को नया रूप देकर अधिक आकर्षक और लाभदायक बना दिया. आज स्थिति यह है कि इस परिवार की कलाकृतिया बड़े अफसरों और व्यापारिक परिवारों के ड्राइंग रूम, बेड रूम और दफ्तरों की शोभा बढ़ा रही है. खुइआ सरवर के कुम्हार बिरादरी से सम्बन्धित दो भाईयो मनी राम और राम लाल ने अपने बर्तन बनाने के काम को नया रूप देने की शुरुआत की. धीरे-धीरे उनकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक फ़ैल गयी. सेना और सिविल प्रशासन के अधिकारी उनकी कलात्मक कृतियों के दीवाने हो गए. मनी राम के निधन के बाद उनके पुत्र हीरा लाल और पुत्रवधू गीता रानी ने इस काम को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी संभाली.
टोटल स्टेट से बात करते हुए हीरा लाल ने बताया कि यह एक पारिवारिक काम है. परिवार का हरेक सदस्य इसमें योगदान डालता है. इस धंधे में कमाई से ज्यादा आत्म संतुष्टि की प्राप्ति होती है. वे अपने स्तर पर ही इन कलाकृतियों को सीधे कला के पारखी लोगो को बेचते है. बड़े स्तर पर इनके उत्पादन और मंडीकरण का उनका कोई इरादा नहीं है. गीता रानी ने बताया कि उसने यह कला ससुराल में अपनी सास से सीखी थी. वह इसमें अधिक बारीकी और निखार लाने का प्रयास कर रही है. उसने बताया कि किसी के तारीफ करने पर जिस संतुष्टि का अनुभव होता है, उसको पैसे से नहीं तोला जा सकता. गीता का कहना है कि आज के युग में हरेक औरत के हाथ में ऐसा कोई गुण अवश्य होना चाहिए जिससे वह अपने परिवार की आर्थिक उन्नति में योगदान दे सके.
total statetotal state
No comments:
Post a Comment