आपका टोटल स्टेट

प्रिय साथियों, पिछले दो वर्षों से आपके अमूल्य सहयोग के द्वारा आपकी टोटल स्टेट दिन प्रतिदिन प्रगति की ओर अग्रसर है ये सब कुछ जो हुआ है आपकी बदौलत ही संभव हो सका है हम आशा करते हैं कि आपका ये प्रेम व उर्जा हमें लगातार उत्साहित करते रहेंगे पिछलेे नवंबर अंक में आपके द्वारा भेजे गये पत्रों ने हमें और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित किया व हमें हौसलां दिया इस बार दिसंबर अंक पर बहुत ही बढिय़ा लेख व आलेखों के साथ हम प्रस्तुत कर रहें हैं अपना अगला दिसंबर अंक आशा करते हैं कि आपको पसंद आएगा. इसी विश्वास के साथ

आपका

राजकमल कटारिया

Raj Kamal Kataria

Raj Kamal Kataria
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Sunday, 21 November 2010

सर इबादत में हैं झुकने वाले बहुत

सर इबादत में हैं झुकने वाले बहुत


लब पे हर्फ़-ए-दुआ दिल हैं काले बहुत

अश्क दामन में बार-ए-गिरां बंदगी

जिंदगी के लिए गम के नाले बहुत

उन मज़ारों की बालीं पे जलते दीए

जिनकी यादों से रोशन उजाले बहुत

उनके नामो निशां मिट के जिंदा रहे

जिनकी अज़मत के चर्चे हवाले बहुत

शहर-ए-उलफत से नफरत के शोले उठे

ख्वाब क्या क्या जले रोए छाले बहुत

पेट की आग अश्कों से बुझती कहां

सानी फ़ाक़ाकशी के निवाले बहुतtotal state

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